Pages

Tuesday, August 5, 2014

शंकराचार्य ने कहा शिर्डी के साईबाबा भगवान नही है ।

द्वारका शंकराचार्य ने शिर्डी के साईबाबा की पूजा न करनेकी हिंदुओको हिदायत दी हैवे कहते है  की, हिन्दुओ को साई बाबा की पूजा करना सही नही है हिंदू धर्म मे सिर्फ अवतार और गुरुओकी पूजा होती हैवे कहते है, कलियुग मे केवल बुध्द और कल्की का अवतार हुवा हैऐसे मे साई की पूजा करने का कोई मतलब नही साई न अवतार है और नही उन्हे गुरु के रूप मे आंक सकते है। गुरु आदर्शवादी होते है, लेकिन साई मे ऐसा कुछ नही था। हम मासाहारी को गुरु नही मान सकते। उन्होने केंद्रीय मंत्री उमा भारती की आलोचना करते हुवे उसपर राम भक्त नही होने का आरोप भी
लागाया है और कहा राम मंदिर अभियान मे उमा भारती की विफलता की वजह उनकी साई भक्ती है। शंकराचार्य ने आरोप लागाया की, साई के भक्ती आंदोलन मे व्यापारीयोकी साजिश है. वे साई पूजा के द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते है। शंकराचार्य के इस व्यक्तव्य से साई भक्तो मे उत्तेजना एंव प्रदर्शानो जन्म दिया है। वे शंकराचार्य से क्षमा याचना की मांग कर रहे है। उन्होने उनके उपर मुकदमे दायर किये है। लेकिन साईबाबा आखिर मे है कौन? इस प्रश्न के जड मे कोई नही जाना चाहता अफवाओपर  साईबाबा का चरित्र टीका हुवा है कुछ लोगोने उन्हे अपने स्वार्थ के लिये उपयोग मे लाया है साईबाबा का शिर्डी मे आने का कार्यकाल सन १८७८ का था तब भारत पर अंग्रेजो का शासन था कुछ लोगो का मानना है की, साईबाबा १८५७ के युध्द मे पुना के पेशवाई मे पेशवा का सैनिक अथवा उनका महत्वपूर्ण सेनापती हुवा करते थे १८५७ के उठाव मे अंग्रेजोके खिलाफ फसे सैनिक आंदोलन मे अनेक मराठा/पेशवा सैनिक  मारे गये, कुछ भाग गये अंग्रेजोने भागे हुए सैनिकोको पकडना चालू किया और सजा ए मौत का ऐलान किया गया इस प्रसंग से बचने के लिये अनेक सैनिकोने अपने रूप बदल दिये तो कुछ सैनिकोने ब्रिटीशोसे बचने के लिए साधू के वेश परिधान किये और सामान्य जनो को अपणा भक्त बना लिया शिर्डी के साईबाबा, शेगाव के गजानन महाराज तथा अक्कलकोट के महाराज को इन सैनिकोका घटक माना गया है लेकिन इस बात पर कोई ख्याल नहीं दे रहा. क्योकि अब साईबाबा करोडो पैसा कमाके देनेवाली मूर्ति जो बन गयी

No comments:

Post a Comment