Wednesday, October 25, 2017

विश्वविद्यालय चुनावों मे एबीवीपी की हार

“अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद” (एबीवीपी) यह संघ की एक शाखा है संघ की यह विद्यार्थी शाखा विश्वविद्यालयोंके चुनावो में भाग लेकर अपने चुने हए प्रतिनिधिद्वारा विद्यापीठ प्रशासनपर अपना दबाव बढाता है भाजपा के भावी नेता इस विद्यार्थी परिषद से निकलते है संघ की यह छात्र शाखा विद्यार्थी और विश्वविद्यालयोमे संघ की विचाराधारा कों प्रसारित करती है मुख्यत: बहुजन समाज के विद्यार्थी इनके अजेंडे पर होते है बहुजन छात्रपर सीधे तौर पर संघ विचारधारा नहीं थोपते बल्की सुरुवाती दौर में  बहुजन विद्यार्थीयोकी समस्याओ पर अपना ध्यान केंद्रित कर उन्हें “अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद” का सभासद बना लेते है जिस वर्ग या जातीसमूह से विद्यार्थी आते है, उस वर्ग या जातिविशेष की समस्याओ पर संघ और परिषद के काम करने के तरीके कों अवगत कराया जाता है. मुख्यत: हिंदू मुस्लिम भेद पर प्रकाश डालकर मुसलमान देश के लिए कितने खतरनाक है, इसका सिध्दांत (थेरी)  समझाया जाता है

Saturday, October 14, 2017

नांदेड महापालिकेच्या निकालासंदर्भाच्या निमित्ताने ........

नुकताच नांदेड महापालिकेच्या निवडणुकांचा निकाल लागला. त्यात कांग्रेसने इतरापेक्षा चांगलीच बाजी मारली. निवडणुकांच्या निकाल बघितल्यानंतर मला एका हताश झालेल्या तरुणाचा फोन आला. म्हणाला,  नांदेड हा आंबेडकरवाद्यांचा बऱ्यापैकी बालेकिल्ला आहे. तिथे नेहमी प्रबोधनात्मक कार्यक्रम होत असतात. कोपर्डी प्रकरणानंतर लाखोच्या प्रमाणात बहुजन क्रांती मोर्चे निघाले. त्या मोर्च्याच्या संख्येवरून नांदेड च्या आगामी राजकारणात बदल होईल असे वाटले होते. परंतु महानगरपालिकेचा निकाल लागला आणि माझा भ्रमनिराश झाला. असे का झाले असावे? असा त्यांनी मला प्रश्न केला. प्रश्न महत्वाचा तसाच गंभीर होता. मी त्याला उत्तरादाखल म्हणालो, महापालिकेच्या एकेका वार्डात

Sunday, October 8, 2017

कोण है श्रेष्ठ: रावण या राम ?

हर साल दशहरा आता है. दशहरे में कुछ लोग और संस्थाए रावण का पुतला बनाकर जलाते है. बड़े बड़े शहरों में नेताओ और तथाकथित सफ़ेद / भगवे वस्त्रधारी साधूओ के समक्ष रावण कों जलाने का कार्यक्रम होता है. रावण कों जलाने का काम राम, लक्ष्मण और सीता के पात्रधारी युवक व युवतियो द्वारा किया जाता है. लेकिन एक प्रश्न उठता है, रावण कों क्यों जलाया जाता है? क्या था उसका अपराध? क्या रावण ने इतना घिनौना काम किया था? जिससे लोग तिरस्कार कर उसे जला दे? तथा राम का चारित्र्य इतना मौल्यवान था की भक्ति भाव से उसकी पूजा की जाए? क्या राम सन्मान के इतने पात्र थे, की  उन्हें भगवान का दर्जा मिले? जैसी दानव की व्याख्या की जाती है वैसीही भगवान की व्याख्या हो. उनके गुणों, कार्यों और चारित्र का इमानदारी से विश्लेषण हो और बादमे उन्हें उस दर्जे के लायक समझा जाए. अच्छे और बुरे आदमी की समीक्षा जिस तथ्योंपर होती है, वही तथ्योपर तथाकथित दानव और भगवान की समीक्षा हो.