बहेनजी, आप का भीम आर्मी के सबंध में बयान सुनकर मै स्तब्ध और खिन्न रह
गया. क्लेश हुवा. क्या बहनजी ऐसा भी कह सकती है? मायावती जी भीम आर्मी कों संघ एंव
भाजपा का एजंट कह रही है. फिर बसपा प्रमुख के तौर पर आप मोदी का प्रचार करने गुजरात
गई थी. वो क्या था?. भीम आर्मी समाज के सरक्षण और प्रबोधन का काम कर रहा है.
अन्याय के खिलाफ खड़ा हो रहा है. दिल्ली के जंतर मंतर में भीम आर्मी के समर्थन के
लिए जिस तरह का जनसागर इकठ्ठा हो गया था, जिसतरह चंद्रशेखर लोगो कों आवाहन कर रहा
था, वो देखकर आपके पैर की
जमीन खिसक रही ऐसा आपको शायद लग रहा होगा. फिर भी के
चंद्रशेखर ने कहा, हम बहनजी पर भरोसा और विश्वास करते है और भीम आर्मी केवल सामजिक
कार्य करता है, पॉलिटिक्स उसका काम नहीं. बहनजी जरा सोचो, चंद्रशेखर, मेवानी जैसे
युवा नेता क्यों पैदा हुए? क्योकि आप समाज का दर्द समझने में नाकाम रही है. आप उनका
आवाज बन नहीं पा रही. आप कभीभी घरके बाहर
निकलतीही नहीं? दलित पर अत्याचार होता है, उसे काटा जाता है, मारा जाता है, महिलाओ
पर अत्याचार और बलात्कार हो रहे ऐसे में आप कहा रहती हो? क्या आप लोगो के बिच में
जा रही है? अत्याचारों के विरोध में क्या आप लोगो में जाकर सरकार तथा आर संघ के
विरोध में आंदोलन कर रही हो?. क्या सिर्फ संसद में जोरसे चिल्लानेसे प्रश्नोके
उत्तर मिल जाते है? आज जिस तरह से अत्याचार हो रहे है, वे देखकर शायद आप का खून नहीं
खौलता होगा लेकिन आज के दलित युवक का खून खौल रहा है. वे देख रहे है, समझ रहे है और
रो रहे है. कह रहे है, हमारे ये नेता समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहे है. वे सिर्फ
सत्ता और खुर्ची के लिए हमारे बिच आते है. समाज के प्रश्नों से इन्हें कुछ लेना देना
नहीं है. ऐसेमें ये युवक क्या करेंगे? क्या आपके जैसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे?
वे तो उठेंगे ही, समाज के अत्याचार के खिलाफ अपना आवाज बुलंद करेंगे ही. ऐसे युवक
के पीछे युवक और बुध्दिजीवी लोग जाएंगे और साथ देंगे.
आप कों युवाओ के लिए पार्टी में युवा संगठन बनाना चाहिए था. संगठन की
विषय आधारित शाखाए बनानी चाहिए थी और उसकी कमान ज्ञानी और सक्षम युवाओ कों देनी
चाहिए थी. आपने ऐसा नहीं किया. ना कभी करोगी. आपका सर्वजन का फार्मूला फेल हुवा है.
फिर भी आपके पीछे सतीश मिश्रा दिखाई देता है. आपने बहुजनवादीता छोड़ दी है. आप
कांशीरामजी का रास्ता और उनके आदर्श विचारो से भटक गई है. सहारनपुर जाकर आपने जो
बयान दिया उसमे मुझे आक्रमकता नहीं बल्की हताशा दिखाई दी. वोट की राजनीति दिखाई
दी. आज पुरे देशपर आर एस एस (संघ) ने अपनी जड़े मजबूत की है. वे देश कों कभी
मनुस्मृति में बदल देंगे. उतनी ताकत उनमे आई है. फिर भी आप देशभर में लोगो के बिच
नहीं जा रही है. आप अगर केवल दिल्ली और लौखनोमे बैठी रहेगी, ऐसेमे लोग भी एक दिन
आपको भूल जाएंगे. लोग नए नेता कों ढूंढेगे और उसका साथ देंगे.
आज केवल आप बहुजन समाज कों इकठ्ठा कर बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकती हो. वो
क्षमता आपमे है. लोग आपपर विश्वास करते है. लेकिन आपने लोगोंकों विश्वास दीलाना
चाहिए. आंदोलनकर्ता युवाओकी सराहना कर उनके पीठ पर हाथ रखना चाहिए. उन्हें समाज
कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन, आगे के दिनों में ऐसा करने से
आप चूक गई, और कुछ न करते हुए उन्हें संघ या भाजपा के एजंट कहती रहेगी तब आप चंद्रशेखर
और मेवानी जैसे युवा नेताओं पर टिप्पणी करने
का हक भी खो चुकेकी. लोग आप पर विश्वास करना बंद कर देंगे.
बापू राऊत
(फुले आंबेडकरी कार्यकर्ता)
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