Saturday, June 24, 2017

अब कहा है? तथाकथित दलित नेता

भीम आर्मी के संघटक चंद्रशेखर आझाद कों गिरफ्तार कर जेल में डाला गया. पता नहीं, आदित्यनाथ योगी की पुलिस चन्द्रशेखर आझाद से कैसा बर्ताव करती होगी? लेकिन एक प्रश्न तो उठता है की, चंद्रशेखर आझाद किसके लिए जेल गया? क्या गुनाह था उसका? क्यों हो रहा उसे जेल? क्या शोषितोंने शोषण के खिलाफ आवाज उठाना गुनाह है?. शब्बिरपुर और सहारनपुर में अत्याचारो का प्रतिकार करना तथा दिल्ली के जंतरमंतर पर उन अत्याचारों कों लाखो जनसमुदाय के सामने सारे दुनिया कों बताना इस देश के मनुवादियोकों हजम नहीं हुवा ऐसा प्रतीत होता है.


क्या अत्याचारों का प्रतिकार करना उसका गुनाह था? क्या दलितोको जागृत करना उसका गुनाह था? क्या लोगोंमे स्वाभिमान की ज्योत जगाना उसका गुनाह था? या हर गाव में अपने टीम द्वारा बच्चोंको पढ़ाना उसका गुनाह था? क्या ज्योतिबा फुले और बाबासाहब आंबेडकर की विचारधारा से लोगोंको जागृत  करना उसका गुनाह था? क्या महिलाओं से ब्राम्हणी परंपराओसे अवगत कराना और उन घृणित परंपरओंको छोड़ देने की अपील करना उसका गुनाह था? शब्बिरपुर गाव में दलितोंके घर जलाए गए, इसका विरोध करना उसका गुनाह था? या सहारनपुर में संभाव्य हमले से दलितोंको बचानेकी कोशिश करना उसका गुनाह था? क्या रविदास के मंदिर में बाबासाहब आंबेडकर का पुतला लगाना उसका गुनाह था? मनुवादियों द्वारा गाय के नाम पर लोगोंकी हत्या करना, उन्हें कही तरिकोंसे प्रताड़ित करना, उनके शरीर पर पेशाब करना और पोट्टी उनके मुह में डालना इस ब्राम्हणी कल्चर का विरोध कर उसके खिलाफ आवाज उठाना, क्या उसका गुनाह है?. सडे हुवे पुराने काल्पनिक कथाए तथा शास्त्रों जहा पर उच-नीचता, अत्याचार, अन्याय, गुलामी और स्त्री हीनता का लेखा जोगा प्रतिपादित है, उसे ठुकराने की बात करना क्या गुनाह है?

अगर ऊपर की बाते गुनाह तथा गुन्हेगार की श्रेणी में आते है, तब, जीवन जीने का और अत्याचारो के  प्रतिकार करने के तरीके कौनसे है? संविधान के दायरे में रहकर विरोध जताना क्या देशद्रोह है. क्या आप गुलामो की नई पीढ़ी निर्माण करने पर तुले हो? लगता तो यही है. शायद आप इसके तैयारी में लगे हो! यह आपका प्रश्न है. हमारे देश कों नष्ट करने का आपने बीड़ा उठाया है. धर्म के नाम से जनता और देश कों बाटने से भारत के अंदर और कई देश निर्माण होंगे. इस पाप के भागीदार आप ही सनातनी मनुवादी संघीय होंगे.

आप अपना काम कर रहे हो. करते रहो, यह आपका विद्वेषी कर्म है. उसका बोझा भी आपकोही उठाना होगा और उसका परिणाम भी आपको भुगतना होगा. लेकिन मेरा मुख्य प्रश्न आपसे नहीं है. मेरा प्रश्न अपने आप से है. बहुजनो और दलितोके नाम से नेतागिरी करनेवालोसे है. दलितोके नामपर संगठन बनाने वालोसे है. महापुरुषोके नाम पर चंदा वसूल करनेवालो से है, बाबासाहब आंबेडकर के नामपर अपना उल्लू सीधा करने वालोसे है की, मै कौन हू? आप कौन हो? आप चाहते क्या हो? आपका मकसद क्या है? क्या अपने आप कों नष्ट करना आपका मकसद है?. चंद्रशेखर आझाद की गिरफ्तारी पर मेरा और आपका आवाज कहा है? आप जीस बाबासाहब आंबेडकर का नाम लेते हो, क्या उस आंबेडकर के शरीर का एक भाग चंद्रशेखर आझाद नहीं है? चंद्रशेखर आझाद ने अपनी आवाज क्यों उठाई? किसके लिए उठाई? क्या आपका काम सिर्फ और सिर्फ चार दीवार के अंदर चर्चा कराना, कभी कभार मोर्चा निकालना और अपनी नेतागिरी दिखाकर अपने जाती के व्होट अपने बाप के समझकर कांग्रेस और भाजपा से पैसा और पदों की दलाली कराना यहा तक सिमित है?

आज चंद्रशेखर आझाद का आवाज दबाया जाएगा या उसे मारा भी जाएगा. या नक्षलवाद का लेबल लगाकर आजन्म कारावास भी होगा. लेकिन सोचिए, आपका भी हश्र वही होगा, जैसे चंद्रशेखर आझाद का होगा. आप भी कभी ना कभी अत्याचारो के खिलाफ आंदोलन करोगे, रास्तेपर आओगे. तब आप का क्या होगा? आप कों भी हिरासत में लेकर जेल में डाला जाएगा. तब आपको बचाने के लिए कौन आएगा? आप चंद्रशेखर आझाद के समय खामोश थे? अब आप के समय दूसरा खामोश रहेगा. तीसरे की भी हालत वही होगी, जैसे आप की होगी. आप और आपके आंदोलनकों कुचलकर खत्म करा दिया जाएगा. किसीको अर्थहिन, शिक्षाहीन और साधनहीन बनाकर गुलाम निर्माण करनेका यह एक अर्थसिध्दांत तथा सामाजिक सिध्दांत है. 

समय की महिमा अलग होती है. समय आप के लिए कभी रुकेगा नहीं. समय आपको चीरते हुए निगल जाएगा. आप लोग गुटोमे बटे रहोगे, आपका शोषण और उत्पीडन होता रहेगा. आप बरबाद होंगे, दूसरा गुट मजा लेगा. दूसरा गुट जब बरबाद होगा तब तीसरा मजा ले रहा होगा. आजकल यही तो हो रहा है. आप लोग और आपकी संघटनाए डरपोक है. आप एकदूसरेसे डरते हो. आप पक्के स्वार्थी और कायर हो. इसीलिए तो आप एक होकर अन्याय के खिलाफ लढना नहीं चाहते. इसीलिए तो आप एक नेता औए एक संगठन के सिध्दांत कों नही अपनाते. रिपब्लिकनवादी बहुजनवादीयोसे लढता है, कुछ लोग बौध्द बनकर  दलितो से दुरी बना रहे है. मूलनिवासीवादी और किसीसे लढते है. किसीको मुलानिवासीवाद से संघवाद अच्छा लगता है. लेकिन ज्योतिबा फुले और बाबासाहब आंबेडकर कों समझने के लिए कोई तैयार नहीं. ये लोग बाबासाहब कों हाथी समझते है और खुद अंधे बनकर बाबासाहब के शरीर के हाथ आये हिस्से कों यही असली आंबेडकरवाद होने का नाम देते है. बेवखुबी की भी एक हद होती है. ये लोग आंबेडकरवादी न होकर संघ (आर एस एस) के एजंडे का रास्ता साफ़ कर रहे है. इलेक्शन २०१९ के बाद यहा लोकशाही का खात्मा होने के लिए यह आंबेडकरवादी भी उतनेही जवाबदेही होंगे.   

बाबासाहब के साहित्य कों पढकर नजरंअंदाज कर दिया जाता है. बाबासाहब ने “बुद्ध और उसका धम्म” इस ग्रंथ में मगध नरेश अजातशत्रु और वज्जियो का उदहारण दिया है. शक्तिशाली वज्जी लोग जबतक एकसंघ थे तबतक अजातशत्रु उन्हें जित नहीं सका था. लेकिन ब्राम्हण वर्षकार के कहने पर अजातशत्रु ने उसी वर्षकारद्वारा वज्जीयो में फुट डाली और उन्हें गुटों में बाट दिया. फिर अजातशत्रुने बड़ी सरलतासे वज्जियो और उनके साम्राज्य कों नष्ट कर दिया. गुटों में बटे रहने का यही हश्र होता है. बाबासाहब के इस उदहारण कों कोई गंभीरतासे लेता नहीं है. इसका कारण सरल है, ना ये लोग आंबेडकरवादी है, ना बाबासाहब कों माननेवाले है. यह लोग स्वार्थ की झुंड है.

अमेरिका में मार्टिन ल्यूथर किंग रंगभेद के खिलाफ लढते हुए श्वेतोंके बंदूक की गोली से मारे गए, दक्षिण अफ्रीका में श्वेत (प्रिटोरिया) सरकार के शोषण और अत्याचार के खिलाफ नेल्सन मंडेला ने आवाज उठाई. २० साल की लंबी जेल की सजासे वे हारे नहीं. भारत में जाती और वर्णव्यवस्था के खिलाफ बाबासाहब आंबेडकर ने जंग छेडकर मुक्ति का मार्ग दिखाया था. लेकिन आज जातिवादी, वर्णव्यवस्थावादी, धर्मवादी, शोषणवादी, गरिबविरोधी, शेतकरी विरोधी, मानवताविरोधी और स्त्रीविरोधी तत्वों ने देश में हाहाकार मचाया है. दलितो पर अत्याचार हो रहे शोषण के खिलाफ खुद कों दलित नेता कहनेवाले उदित राज, रामविलास पासवान, रामदास आठवले, मीराकुमार और अभी अभी जिस व्यक्ती का दलित होने का प्रचार अमित शहा कर रहे वे रामनाथ कोविद कहा है? मान लो, वे संधिसाधू और किसीके पिच्छलग्गु है, लेकिन जो आंबेडकरवादी और दलित नेता होने दावा करते वे क्या घास चरने गए है?. चंद्रशेखर आझाद की रिहाई के लिए उसकी माँ और भाई कों जंतरमंतर पर धरणा दे रहे है लेकिन आप और आप का संगठन दिखाई नहीं दे रहा. फिर प्रश्न वही उठता है, आप हो कौन? क्या गुटों में रहकर लढने और लढानेवाले भविष्य के दलाल और संधिसाधू हो?. पता नहीं, आप किन मुर्दोंके नेता हों, जो आप से सवाल नहीं करते.  

लेखक: बापू राऊत

9224343464 

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