पिछले महीने देश का
सांस्कृतिक माहोल बिघाडनेवाली दो घटनाए घटी। यह जानबूझकर किया गया प्रयास था। पहली
घटनामे, केरल राज्य में प्राचीन काल से बड़ी धूमधाम से ओणम का फेस्टिवल मनाया जाता
है। यह सांस्कृतिक उत्सव राजा महाबली के आगमन के तौरपर उनके स्वागत के लिए होता है।
इस संदर्भ में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ कि मल्यालम पत्रिका केसरी ने ओणम पर
विशेषांक निकाला। विशेषांक में लिखे लेख में राजा महाबली कि मान्यताओं को
तोडमरोडकर पेश किया गया। लेख में महाबली को असुरों (राक्षसों) का राजा और ओणम को
महाबली के नाम से नहीं किंतु वामन (विष्णु) के स्वागत के तौर मनाया जाता है। ऐसा
कहा गया। दूसरी घटना में, भाजपा के अध्यक्ष अमित शहा कि ओरसे सोशल मिडिया में किया
गया ट्विट। ट्विट मे एक बैनर दिखाया गया, जहा वामन नाम का ब्राम्हण राजा महाबली के
सर पे पैर रखकर उसे नरक में धकेल रहा है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक कि पत्रिका का लेख
और अमित शाह का ट्विट एकसाथ प्रगट होना, आदतन संघपरिवार के सोची समझी निती के तौरपर
हुवा है।