भारत
मे ऐसे लोग लोकप्रिय बनते जा रहे, जिनका लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है, बल्कि धर्मतंत्र तथा सामंतवादी व्यवस्थापर
अधिक है। वे धर्मशास्त्र, देवी-देवता और साधुओंको साथ लेकर
बहुसंख्य समाज को भक्तिवाद और अंधवाद मे डुबो रहे है। वे बुध्दीवादियोंकों धमकाकर
या उन्हे मारकर उठ रहे विरोधी आवाज को खत्म करना चाहते है। वे झुठपर झूठ बोलकर
बहुसंख्य समाज के मस्तिष्क पर कंट्रोल कर रहे है। वे लोकतंत्र को खत्म कर अपने
तरीकेसे देश को चलाना चाहते है। इसीलिए देश की जनता सावधान रहे और ऐसे फॅसिस्ट सत्तावादियों
और संगठनो को पहचाने और उन्हे अपनी आवाज न बनने दे। नीचे दिए गए तक्तों मे ऐसे
सत्तावादियों/संगठनो को कैसे पहचाने? इसके प्रमुख संकेतांक
है, जैसे
1. लोकतांत्रिक नियमों का
अस्वीकार तथा उन्हे कमजोर करने का षडयंत्र
सत्तावादियों तथा उनसे सबंधित
संगठनो द्वारा
·
संविधान को
अस्वीकार करना या उसे बरबाद
करने की इच्छा
व्यक्त करते रहना।
·
चुनाव
रद्द करने या
संविधान को निलंबित करने, कुछ संगठनों पर प्रतिबंध लगाने, या बुनियादी नागरिक या राजनीतिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने जैसे
कृति करना तथा विरोधी उपायों की आवश्यकता का सुझाव देना।
·
सरकार
को परिवर्तन लाने के लिए मजबूर करने वाले संगठनो को सैन्य, पुलिस
तथा खुफिया तंत्र द्वारा परेशान करना ।
·
आम चुनाव की वैधता को कमजोर करने के लिए प्रयास करना।
2. राजनीतिक विरोधियों तथा
संस्थाओंकों देशद्रोही
कहकर खुद को देशप्रेमी कहना।
कहकर खुद को देशप्रेमी कहना।
सत्तावादियों तथा उनसे सबंधित
संगठनो द्वारा
·
अपने
प्रतिद्वंद्वियों को विध्वंसक के रूप में वर्णित करना, या मौजूदा संवैधानिक आदेश का विरोध करते
रहना।
·
अपने प्रतिद्वंद्वियोंको देश के राष्ट्रीय सुरक्षा और जीवन के प्रचलित तरीके के
लिए खतरा बताना।
·
अपने
प्रतिद्वंद्वियों को अपराधियों के रूप में वर्णित करते रहना, कानून का उल्लंघन कर राजनीतिक क्षेत्र में पूर्ण भागीदारी से उन्हें अयोग्य
घोषित करना ।
·
प्रतिद्वंद्वी को
हमेशा विदेशी एजेंट जैसे
नामों से उच्चारण करते रहना। सत्तावादियों का गुप्त रूप से विदेशी ताकतोसे गठबंधन
कर अपने देशी प्रतिद्वंदी को एजंट कहकर देश के दुश्मन या देशद्रोही कहकर चर्चा
करते रहना ।
3. हिंसा को
प्रोत्साहित करना एंव संविधानिक संस्थाओके साथ हितसबंध
रखना।
सत्तावादियों तथा उनसे सबंधित
संगठनो द्वारा
·
सशस्त्र गिरोह, अर्धसैनिक बलों, पुलिस, सीबीआय तथा गुप्तचर संस्थाओंके के साथ अपने हितसबंध प्रस्थापित करना, जिससे हिंसा/अपराध करनेवालों उनके समर्थोंकों इनका खुला साथ मिले।
·
विरोधियों पर भीड़
द्वारा हमलों को प्रायोजित और प्रोत्साहित करते रहना।
· अपने समर्थोंकोंकी अस्पष्ट रूप से निंदा करने और उन्हे
दंडित करने से
इंकार कर अपने समर्थकों द्वारा हिंसा का समर्थन करते
रहना और उन्हे जेल से छुड़वाकर उनका स्वागत करना।
·
सत्तावादियों तथा उनसे सबंधित
संगठनो द्वारा राजनीतिक एंव
सांस्कृतिक हिंसा जैसे
महत्वपूर्ण
कृत्यों की प्रशंसा करना।
4. मीडिया से हाथ मिलाकर विरोधियों की नागरिक स्वतंत्रता को कम करना
तथा दंडात्मक कार्यवाही
की धमकी।
की धमकी।
·
ऐसे नीतियों और कानूनों का समर्थन करना
जिससे नागरिक स्वतंत्रता प्रतिबंधित होती
है, जैसे अपमान या मानहानि कानून, या विरोध को प्रतिबंधित करने वाले कानून, सरकार की आलोचना करने
पर शिक्षा का प्रबंधन करने का कानून।
·
प्रतिद्वंद्वी
दलों, नागरिक समाज या मीडिया में आलोचकों के खिलाफ कानूनी या अन्य
दंडकारी कार्रवाई करने की धमकी देना। मीडिया द्वारा
विरोधियोंकि बदनामी करना।
·
अन्य सरकारो द्वारा या दुनिया के
अन्य जगहो पर जनता एंव विरोधियोपर हो रहे दमनकारी उपायोकी प्रशंसा करना।
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