Saturday, March 12, 2016

नैतिकता से हारे उन्मादी और खुदगर्ज न्यूज चैनेल्स

हाल ही में जवाहरलाल नेहरू युनिव्हर्सिटी में 9 फरवरी को कुछ शरारती तत्वों द्वारा देश के बरबादी के नारे लगाए. नारे लगाने वालो के चेहरे ढके हुए थे. दिल्ली पुलिस ने अभीतक गिरफ्तारी नहीं की. जेएनयु के दूसरे प्रसंग में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे. झी टिव्ही के फुटेज में एबिव्हिपी के कुछ छात्र यह नारे लगाते देखे गए. ऐसे में कन्हैया कुमार (जेएनयु छात्र संघटन का अध्यक्ष), उमर खालिद और अनिर्भान भट्टाचार्य का आजादी के नारे का व्हीडियो सामने आता है. अचानक झी टीव्ही, इंडिया टीव्ही, न्यूज लाईव्ह और टाइम्स नाउ जैसे न्यूज चैनेल्समें हडकंप मच जाता है. इन न्यूज चैनेल्स के प्राइम टाइम में तीनो विद्यार्थियोको देशद्रोही, गद्दार और आतंकवादी घोषित किया जाता है. उन्हें जेल में डालने की सलाह दी जाती है. पुलिस द्वारा की गई तुरंत कार्रवाहीमें पहले  कन्हैया कुमार, बादमे उमर खालिद और  अनिर्भान भट्टाचार्य पर देशद्रोह के नाम पर जेल में डाल दिया जाता है.
अब प्रश्न है न्यूज चैनेल्स का, उनकी भूमिका और कर्तव्य का? जिन चैनेलोने कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्भान भट्टाचार्य के सबंधित व्हीडियो दिखाकर देशद्रोह का आरोप लगाया था वे व्हिडियोज  फोरेंसिक टेस्ट में झूठे (डाक्टरड) पाये गए. प्रश्न उठता है, क्या ऐसे न्यूज चैनेल्स विश्वासपात्र है? क्या यह चैनेल्स देश को गुमराह नहीं कर रहे? वे न्यूज को बेचते है. किसी भी व्हीडियो की जाच किये बिना किसीको भी गद्दार, देशद्रोही और आतंकवादी कहना कितना उचित है? झूठे साबित होनेपर चैनेल्स के संपादकों एंव चालकों पर कारावास की शिक्षा क्यों नहीं होती?
न्यूज चैनेल्स को अभी लोकतंत्र का चौथा खांब नहीं कहा जा सकता?. वो सत्ता के साथ दिखाई दे रहा है. पैसो का खेल चालु है. अपने हक और अधिकार की बात करनेवाले को स्टूडियो में बुलाकर उन्हें देशद्रोही करार देकर पोलिस द्वारा गिरफ्तार करवाना चाहता है. आज के चैनल्स गरीबी और उनके हक की बात नहीं करते, उद्योगपतियों की बात करते है. आदिवासियो को जंगल से खदेड़ने वाले उद्योगपति उनके मित्र बन गए है. मौलिक अधिकार की बात सिर्फ उच्च वर्ग और उची जातियों तक सिमित रह गयी. भारत में गरीबो को कौन पूछता है?
आज के न्यूज चैनेल्स परंपरा की बात करते है. जो परंपराए देश और लोगो को अँधेरे में धकेल रही है. भारत में अंधविश्वास बढ़ा रहा है. अभीतक न्यूज चैनल्स अपना टीआरपी बढाने के लिए “साँस कभी बहु थी”, पौराणिक कथाओं का चित्रण, सनसनी जैसे कार्योक्रमो का सहारा लिया जाता था. मोदी और संघ सत्ता में आतेही पुराने मसालो के साथ साथ बजरंग दल, विहिप के कार्यकलापों, मुस्लिम आतंकवाद, गोमास भक्षण, देशप्रेम, देशद्रोह जैसे मुद्दे मिल गए है. ये मुद्दे उठाकर वे अपना टीआरपी बढा रहे है. भारत में न्यूज चैनलों के बीच में होड़ मची हुई है. 

अभी भी झी टीव्ही, इंडिया टीव्ही, न्यूज लाईव्ह और टाइम्स नाउ जैसे न्यूज चैनेल्स कन्हैया कुमारको देशद्रोही कह रहे है. कन्हैय्या कुमार पर देशद्रोह अभीतक साबित नहीं हुवा. न्यूज चैनेल्स पर दिखाए व्हीडियो झूठे साबित हुवे है. फिर भी कन्हैय्या को देशद्रोही कहना कितना उचित है?. उसे देशद्रोही करार देने के लिए न्यूज चैनलों में होड मच गयी है. उसे राष्ट्र का बड़ा शत्रु घोषित कर रहे है. चैनलोंका काम होता है देश में विरोधी पक्ष की भूमिका निभाना लेकिन उससे उल्टा हो रहा है. सत्ता के साथ मजा लेने का उन्हें बुखार हो गया है. क्या न्यूज चैनेल्स पर नैतिकता लागू नहीं होती.? मिडिया देश में बहुसंख्यांक खिलाफ अल्पसंख्यांक, हिन्दू वर्सेस गैर हिन्दू, धर्मनिरपेक्ष वर्सेस राष्ट्रवाद, देशप्रेमी वर्सेस राष्ट्रद्रोही और गोमास जैसे मुद्दों को तुल देकर क्या गृहयुध्द करवाना चाहते है?.
कन्हैया कुमार आजादी की बात करता है. किससे आजादी मांग रहा है? भुखमरी, गरीबी, जातिवाद, ब्राम्हनवाद और मनुवाद से आजादी मांगना क्या देशद्रोह है? तालिबानी संघ से आजादी मांगना क्या देशद्रोह है? अगर यह देशद्रोह है, तो देशप्रेम क्या है?. गोमास के नाम से लोगो को जलाना और काटना, क्या देशप्रेम है? लव जिहाद और घरवापसी के नाम से जहर फैलाना, क्या देशप्रेम है?, बहुजन समाज को उसके हक और अधिकारोसे वंचित करवाना, क्या देशप्रेम है?, धर्म और परंपराए के नाम से देश के बहुसंख्यांक लोगोंमे अंधविश्वास का फैलाव करना, क्या देशप्रेम है?, आदिवासी, दलित और ओबीसी समाज को मूलभूत शिक्षा और सुधार से वंचित करना, क्या देशप्रेम है? देश में भय और भ्रम का निर्माण करना, क्या देशप्रेम है?. इन सारे प्रश्नों के उत्तर देना होगा. संघ और मनुवादी न्यूज चैनेल्स ने आमिरखान और शहारुखखान को असहिष्णुता के नाम पर घुटने टेकनेपर मजबूर किया गया. देश में असहिष्णुता का माहोल कायम है, देश में भय और दशहत का वातावरण है. इससे कौन नकार सकता?.
कन्हैया कुमार पर कोर्ट में देशद्रोह के आरोप साबित नहीं हो सके. फिर भी जज ने कैन्ह्या कुमार आरोपोसे मुक्त नहीं किया. कन्हैया के खिलाफ सबूत नहीं है, फिर उसे आरोपोसे मुक्त न करके छह महीने का बेल क्यों? क्या आरएसएस (संघ) नाम के अजगर की विचारधाराओ ने जजो की कुर्शीतक अपना डेरा डाला हुवा है? अगर सही में ऐसा है, तब देश में न्यायिक गुंजाइश कहा बचती है? भारत हजारो सालो से बहुमतवादी विचारधाराओ का केंद्र बना है. यही गुण देश को विश्व में गौरवात्मक बनाता है. देश का पुलिस तंत्र, वकील, भारतीय सेना और न्यायालये सिर्फ और सिर्फ संविधान के प्रति जवाबदेही होता है. लेकिन आज वह भी धर्म और विशेष विचारधारा के प्रति हमदर्दी दिखाकर बट रहा है. भविष्य में यह देश के लिए बड़ा संकट पैदा करेगा.
भारत आज विचारधाराओ की टकराव के दौर से गुजर रहा है. झी टीव्ही, इंडिया टीव्ही, आइबीएन 7 और टाइम्स नाऊ जैसे चैनलों के पास किसीको भी देशद्रोही कहने का सर्टिफिकेट मिल गया है. यह चैनेल्स ऐसी बाते दिखा रहे है जिससे आरएसएस (संघ) एंव मोदी खुश हो. उसमे अभी एबीपी न्यूज चैनल भी सामिल हो गया है. एबिपी न्यूज ने कोलकोता के टेलीग्राफ कार्यक्रम पर बरखा दत्त, न्यायमूर्ति गांगुली का भाषण नहीं दिखाया लेकिन अनुपम खेर के भाषण पर अपने टीव्ही में डिबेट करवाई और उसे व्हायरल किया गया. इससे मिडिया का दोगलापन दिखाई देता है.
मिडिया के इन चाटुकारों से देश को कौन बचाएगा? देश के युवक, जो मानवता और धर्मनिरपेक्ष में विश्वास रखते है, संविधान को सर्वश्रेठ समझकर उसके नियम के साथ चलने के तैय्यार है. वे युवक देश को बचा पाएंगे अन्यथा इस देश का रूपांतरण तालिबानाकृत अफगानिस्थान और ईसिस कृत नई दुनिया के तर्ज पर आरएसएस (संघ) कृत मनुस्मृति धारक देश का निर्माण होने में देर नहीं लगेगी.

बापू राऊत
९२२४३४३४६४

4 comments:

  1. Kiti paise miltat varshaahr bjp government virudha lihyache? aata tar ti kamai band zali asel na, 9500 ngo indian government ne ban kelyamule.

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  2. भाजपाला शिव्या घालण्यात धन्यता मानणारे लेख लिहून फक्त तुम्हाला पैसे मिळतात. त्यापेक्षा इशरत प्रकरणात तिला ह्याच कॉंग्रेस नेत्यांनी शहीद बनवले तेव्हा ते काय राष्ट्रहिताचे काम करत होते का? युपीए काळातील एक गृहमंत्री ती दहशवादी आहे म्हणतो तर दुसरा त्याचा अहवाल बदलून तिला शहीद ठरवतो आणि सत्य जेव्हा समोर येत तेव्हा मग तुम्ही सगळे सेक्युलर कुठे असता. तिस्ता सेटलवाड च काय ? इंदिरा जयसिंघ च काय हि सर्व काय तुमची राष्ट्रहिताचे काम करणारी मानस का? एनजीओ ना मिळणारी परदेशी रसद बंद होते तेव्हा तुम्हाला असहिष्णुता आठवते का?

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  3. भारत दोन वर्षात असहिष्णू झालाय हे मानता काय?

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  4. tache kay aahe raut, ki kavil zalelya mansala sagle jag pivle diste. tuzya sarkhya lokanche likhan donhi samajat ek mekabaddal vish pasryache kam karte.

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