एक समय रवीन्द्रनाथ टागोर ने कहा था, “ मेरा मानना है की भारत के कलेजे पर गरीबी का जो भारी बोझ पड़ा है, उसकी एक मात्र वजह है अशिक्षा।” विकास और सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया मे
बुनियादी शिक्षा की जो भूमिका है, वह व्यापक और बेहद
महत्वपूर्ण है। आधुनिक विश्व मे किसी का
भी अशिक्षित होना एक कैद की जिंदगी जीने के बराबर है। हमारे वाणिज्यिक अवसर
और रोजगार की संभावनाए एंव सम्मान हमारी शैक्षिक योग्यता और उससे आनेवाली चपलता पर
निर्भर होता है। जागतिकीकरण और बाजारीकरन के इस दुनिया मे शिक्षा की जरूरत खासतौर
पर बढ़ती जा रही है।
भारत के स्वतंत्रोत्तर कालखंड मे आई सरकारोने शिक्षा
को बेहतर बनाने का वादा किया था। लेकिन वर्णवादी तथा सामंती सामाजीक व्यवस्था के
कारण यह वादा आजतक पूरा नहीं हो सका। नतीजा