आजकल नरेंद्र मोदीजी खुद को ओबीसी का लीडर
तथा ओबीसी वर्ग से आने की बात कर रहा है और ओबीसी से व्होट माँगने की याचना कर रहा
है. लेकिन सवाल यह है की, नरेंद्र मोदी ने ओबीसी के लिए कुछ किया है? तथ्य इस प्रकार है
१. ओबीसी को रिझर्वेशन दिलाने के लिए नरेंद्र मोदी की भूमिका झिरो (शून्य) थी. उन्होंने कभीभी मंडल कमीशन के लिए आवाज नहीं उठाई?
२. नरेंद्र मोदी मंडल कमीशन के प्रबल विरोधी रहे है. नरेंद्र मोदी हमेशा आर एस एस के भूमिका के साथ रहे है, जब की आर एस
एस की भूमिका मंडल विरोधी रही है.१. ओबीसी को रिझर्वेशन दिलाने के लिए नरेंद्र मोदी की भूमिका झिरो (शून्य) थी. उन्होंने कभीभी मंडल कमीशन के लिए आवाज नहीं उठाई?
२. नरेंद्र मोदी मंडल कमीशन के प्रबल विरोधी रहे है. नरेंद्र मोदी हमेशा आर एस एस के भूमिका के साथ रहे है, जब की आर एस
३. ओबीसी की जनगणना होनी चाहिए, यह भारत के ओबीसी संगठनोकोकी मांग थी. क्या नरेंद्र मोदी ने कभी ओबीसी जनगणना की बात उठाई?. उन्होंने कभी भी ओबीसी के जनगणना की बात नहीं की.
४. प्रायव्हेट सेक्टर में ओबीसी के रिझार्वेशन पर नरेंद्र मोदी चुप क्यों है? गुजरात सरकार ओबीसी के के मांगो के तरफ कभी ख्याल नहीं देते. गुजरात में ओबीसी समाज उनके खिलाफ खड़ा है.
५. आय आय टी तथा आय आय एम् जैसे संस्थाओमे में ओबीसी विद्यार्थीयो के रिझर्वेशन के लिए
नरेंद्र मोदी समर्थन क्यों नहीं देते?
६. ओबीसीयोके प्रमोशन में रिझर्वेशन की मांग पर नरेंद्र मोदी चुप क्यों है? नरेंद्र मोदी ओबीसी के प्रश्नोके बारेमे हमेशा चुप रहते है? ऐसा नेता क्या ओबीसी का नेता हो सकता है? मै ओबीसी समाज (पिछडे) का अंग हू यह कहके, क्या उन्हें व्होट मांगने का अधिकार उन्हें प्राप्त हो जाता है?.
नरेंद्र मोदी केवल और केवल आर एस एस के विचारधारा को मानते है? और आर एस एस की
विचारधारा ओबीसी के विकास के खिलाफ है. ऐसे मोदीजी जो की, ओबीसी के विकास के खिलाफ
है, उन्हें ओबीसी समाज अपना नेता क्यों माने?
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