भारत
के कुछ कट्टर हिंदू देश में “तालिबानी भारत” का
निर्माण कर रहे है. पूर्वकाल में भारत के लोगोने अफगानिस्थान में तालिबानियोका और
पाकिस्तान में मुजाहिद्दीयोका विरोध किया था. उनके कट्टरवाद पर हल्ला किया था.
विश्व में भारतकी मजबूत लोकशाही का हवाला दिया जाता है. विश्व के दूसरे इलाके में
आतंकवाद का घटनाओ पर भारत सरकार तुरंत प्रतिक्रिया देती है. मगर आज भारत में क्या हो
रहा है? हिंदू संघटन भारत को सदियों पीछे ढकेलनेकी कोशिश कर रहे
है. तामिलनाडू के लेखक पेरूमल मुरुगन ने हिंदू संघटनोके दबाव में अपने फेसबुक
वॉल पर "लेखक पेरुमल
मुरुगन नहीं रहा. वो भगवान नहीं है. इसलिए वो दोबारा लिखना नहीं शुरू करेगा. अब
सिर्फ एक शिक्षक पी मुरुगन जिंदा रहेगा." ये लिखनेको मजबूर किया है. मुरुगन ने 2010
में “माथोरुभागन”
नामक तामिल भाषा में किताब लिखी थी.
हिंदू संघटन
लेखकों के अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाना चाहते है. लगता है, ये हिंदू संघठनही
देश चला रहे है. क्योकि हमारे बोलबच्चन प्रधानमत्रीजी
इनके खिलाफ आवाजतक नहीं निकाल पा रहे है. वे मनमोहनसिंग को गूंगा प्रधानमंत्री
कहते थे. अब खुद मोदीजी “गूंगेपन” की भूमिका अदा करते दिखाई दे रहे है. देश के
हिंदू लेखकों को अगर अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है, तो उन्हें अपना धर्म बदल
देना चाहिए. लेकिन ऐसे लेखकोने केवल खुद को नहीं बल्की पूरे अपने समाज को साथ में
लेकर धर्मपरिवर्तन कर देना चाहिए. जिन कारणों से इस देश में अभीतक धर्मांतरण हुवे
है, वे कारण अभी भी मौजूद है.
लेकिन फिर भी
प्रश्न उठता है, ये तालिबानी हिन्दुओका करे क्या? क्योकि ये तालिबानी हिंदू देश में गृहयुध्द होने जैसी परिस्थितिया पैदा
कर रहे है. हर देशवासियो को इस बारे में सोचना होगा. रामासामी पेरियार के तामिलानाडू स्टेट में अगर हिन्दुवादी संघटन अभिव्यक्ती स्वतंत्रता पर हल्ला बोल रहे, तो वे देश के हर क्षेत्र में ये हिंदू तालिबानी अभिव्यक्ती स्वतंत्रतापर हल्ला कर सकते है.
By Bapu Raut
chicken 65 khanar ka?
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