Saturday, October 10, 2020

आंबेडकराइट नहीं अवसरवादी राजनेता थे रामविलास पासवान

भारत में ऐसा कोई नागरिक नहीं होगा जो रामविलास पासवानजी को न जानता हो। उन्होने अपने जीवन में सामाजिक और राजनीति की लंबी पारी खेली है। भारत में सबसे ज्यादा वोट के अंतराल से जीतनेवाले सांसद (1977) का रेकार्ड उनके नाम पर है। इतनाही नहीं छ: प्रधानमंत्री के साथ काम करने का अनूठा रेकार्ड भी उन्ही के नाम पर है। 1970-90 के दशक में जिन नेताओने राजनीति के मुख्य प्रवाह में सामाजिक न्याय का एजंडा लाने का काम किया, उन नेताओमे रामविलास पासवान का नाम शीर्षपर है । भूतपूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रतापसिंग के मंत्रिमंडलका चर्चित चेहरा थे रामविलास पासवान जी। मंडल आयोग और अनु जाती/जनजाति अत्याचार प्रतिबंध का कानून पर योगदान के लिए उन्हे सामाजिक न्याय का मसीहा भी कहा जाने लगा था।    

Saturday, October 3, 2020

हाथरस की घटना : आधुनिक इतिहास का काला पन्ना

भारतीय इतिहास का सांस्कृतिक चेहरा कभी भी सफ़ेद नहीं था। वह काला ही था। उसके उफान की लहरे कम अधिक होते रहती है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में उसकी एक नई लहर दिखाई दी। जिस राज्य में रामराज के नामसे बेगुनाह लोगोंके अधिकारोपर चोट आती हो, उनके धार्मिक अधिकार नकारे जा रहे हो, वह राज्य किसी लोकतंत्र देश का हिस्सा नहीं हो सकता। उसे फॉसीवादी स्टेट ही कहा जाएगा।स्वतंत्र भारत में जहा लोकतंत्र और कानून का राज है, इतनाही नहीं दलितोंकों शोषण के खिलाफ संवैधानिक अधिकार मिले है। इस परिस्थिति में अगर राज्य और प्रशासन के द्वारा दलितोंके अधिकारो पर चोट की जाती हो, तब वह गंभीर बात हो जाती है। उसका मुक़ाबला गंभीरता और एकजुटता से करना बेहद जरूरी हो जाता है।