महाराष्ट्र में हर साल नियमित रूप से 25 दिसम्बर को “मनुस्मृति” नामक किताब को जलाया जाता है. मनुस्मृति का दाह संस्कार अब महाराष्ट्र के
बाहर भी किया जा रहा है। डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर
ने मनुस्मृति क्यों जलाई गई?. इसे समझने के
लिए “मनुस्मृति” नामक किताब को पढ़ना जरुरी है। पढनेपर किताबमे छिपी
हुई बाते पाठक के ध्यान में आ सकती है। उनमें से कुछ पाठक प्रतिक्रियावादी हो सकते
हैं। यदी कोई पाठक धार्मिक प्रवृत्ति का हो, तो वह कहेगा की, मनुस्मृति एक धार्मिक ग्रंथ है. तदनुसार कार्य
करना चाहिए। तथापि, जाब कोई व्यक्ति इस प्रकार की बात कहेगा, तब उसे सबसे
पहले पुस्तक में लिखी सभी बातें अपने परिवार पर उपकृत करनी चाहिए। तभी ऐसी प्रतिक्रिया को महत्व
दिया जा सकता है।