Tuesday, January 29, 2013

आशीष नंदी का बयान पिछडों के बारेमे सवर्णो के गंदी सोच का एक उदाहरण है।



जयपुर साहित्य सम्मेलन में लेखक आशीष नंदी अपने अंदर की बात बाहर निकालते हुए कहा था कि इस देश मे भ्रष्टाचार के लिए पिछड़े और दलित (अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग) जिम्मेदार हैं। मंच पर ही मौजूद एक और जातिवादी साहित्यकार ने आशीष नंदी के इस वक्तव्य का ताली बजाकर सहमति और खुशी जाहीर की। तबतक मौके पर उपस्थित कुछ लोगों ने आशीष नंदी के इस बयान का कड़ा विरोध जताना शुरू कर दिया था। नंदी के इस बयान से पता चलता है कि देश का खुद को बुध्दीवादी  समझनेवाला मनुवादी वर्ग देश के कुल
आबादी के 85% पिछड़ों और दलित वर्ग को किस नजरिये से देखता है। आशीष नंदी ने जाति विशेष पर एक बयान जारी कर देश को शर्मिंदा कर दिया है। क्या भ्रष्टाचार किसी जाती विशेष से सबंध रखता है. पिछडी जातियोकी जानबूझकर  बदनामी करनाही आशीष नंदी का मकसद दिखाई देता है.
इस बीच आशीष नंदी रविवार को साहित्य त्सव को बीच में छोडकर जयपुर से भाग गएअब जयपूर मे उनके खिलाफ एक शिकायत दाखिल की गई। इस बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती, एससी-एसटी कमीशन के अध्यक्ष पुनिया की ओरसे निषेध कर नंदी को अरेस्ट करने की माँग की गई। तथा जयपुर के मीना और जापंचायतोने नंदी के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। अनेक लेखक और दलित चिंतको ने आशीष नंदी के बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है। और जिस तथ्यपर यह बयान जारी किया है उस तथ्य को सामने लाने का आशीष नंदी को आव्हान किया है। आशीष नंदी का यह मूर्खतापूर्ण बयान जानबूजकर तथा सोचीसमझी रणनीति का अंग है। इस बयान से देश के 85% आबादी के स्वाभिमान का अपमान किया गया है।  सवर्ण समाज के इस अन्यायपूर्ण विचारोके कारण आज भी देश के पिछड़ो तथा दलित आदिवासियोको उनका हक नहीं मिल पा रहा। अब देश के 85% पिछड़े, दलित और आदिवासी ने सोचना चाहिए की हम इनके सहारे क्यो जिए? देश के शासन की बागडौर खुद ही क्यो न संभाले? आखिर मे उनके वोटोसेही तो सरकारे बनती और बिघड़ती है। वोट हम दे और शासन सवर्ण समाज के 15% लोग करे यह कबतक चलेगा? क्या देश के पिछड़े, दलित और आदिवासी ऐसा कभी सोचेंगे? या अपमानजनक ज़िंदगी जीते हुए  आपसमेही लढकर सवर्णोकों सत्ता सौपते रहेंगे?
                                                       बापू राऊत 


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