लेखक एवं चिंतक कंवल भारती को उत्तर प्रदेश सरकार ने फेसबुक पर एस डी एम् दुर्गाशक्ति नागपाल के मामले पर टिपण्णी करने के कारण गिरफ्तार किया। लेकिन कोर्ट ने उन्हें जमानत पर छोड़ दिया। उत्तर परदेश सरकार की यह कारवाई अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकारों पर किया गया हमला है. उत्तर प्रदेश सरकार के इस कारवाई की बुध्दिजिवियोने निंदा करनी चाहिए।
फेसबुक पर कंवल भारती ने प्रतिक्रिया देकर जनभावना की बात कही थी। उन्होंने गलत कुछ नहीं लिखा था ।
कंवल भारती ने फेसबुक पर लिखा था, 'आरक्षण और दुर्गाशक्ति नागपाल मुद्दों पर अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार पूरी तरह फेल हो गयी है। अखिलेश, शिवपाल यादव, आज़म खां और मुलायम सिंह इन मुद्दों पर अपनी या अपनी सरकार की पीठ कितनी ही ठोक लें, लेकिन जो हकीकत ये देख नहीं पा रहे हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और बेलगाम मंत्री इंसान से हैवान बन गये हैं। ये अपने पतन की पट कथा खुद लिख रहे हैं। सत्ता के मद में अंधे हो गये इन लोगों को समझाने का मतलब है भैस के आगे बीन बजाना।'
उत्तर प्रदेश सरकार के जनविरोधी कारनामो पर प्रतिक्रिया देना वा लिखना और उसपर पोलिस कार्यवाही होना यह इमरजन्सी जैसे हालात के संकेत है । मुलायम सिंग यादव उत्तर प्रदेश में खतरनाक खेल खेल रहे है। दुर्गा नागपाल ने भू माफिया के खिलाफ कार्यवाही की थी। इन भू माफिया के ताल्लुख समाजवादी पार्टीसे जुड़े हुए है। इसीलिए दुर्गा नागपाल को फ़साने के लिए मस्जिद का सहारा लिया जा रहा है।
भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है जो कि मौलिक अधिकारों के तहत आता है और कंवल भारती ने ऐसी कोई भी टिप्पणी नहीं की, जिससे किसी की भावना आहत होती है।
लेखक एंव चिन्तक कंवल भारती को सपोर्ट देना चाहिए। नहीं तो कल किसी ओर की बारी आएगी ।
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