देश में आज हडकंप और अराजकता का माहौल बना हुवा है. देश की जनता कभी भी पार्टी
विचारधाराओ में बटी नहीं होती. अगर ऐसा होता तो देश में एक ही पार्टी हमेशा के लिए
सत्ता में बनी रहती. कार्यकर्ता, जिसका पेट पार्टी आधारित कार्यक्रमों के अंतर्गत
चलता है. ऐसे लोग कार्यकर्ता बनकर पार्टी चलाते है. आर्थिक लाभ इसमे अधिक होता है.
कुछ लोग देश में सत्ता में बने रहने के लिए और सत्ता से आर्थिक लाभ पाने के लिए अशांती फैलाते है. किंतु, इसमे वकील, प्रशासन, पत्रकार,
पोलिस और न्यायाधीश शामिल होंगे, वे एक पार्टी और विचारधारा के प्रवक्ता के तौर पर
बोलने और चलने लगेंगे, तो सोचो देश का क्या होगा, क्या देश बचेगा? देश का भविष्य
क्या होगा? सोचनेवाली बात है.
झी न्यूज, इंडिया न्यूज़, इण्डिया टीव्ही, टाइम्स नाऊ जैसे टीव्ही चनेल इसमे शामिल
है. इन्होने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का एक वीडियो दिखाया और खुद
ही जज बनकर देशद्रोही करार दे दिया. दीपक चौरसिया, सुधीर चौधरी तथा अर्नव गोस्वामी
जैसे पत्रकार इस मोहीम में शामिल है. ये पत्रकार कन्हैया कुमार और खालिद को डिबेट
में बुलाते है, उन्हें देशद्रोही बताकर सरकार और पोलिस को आवाहन कर उन्हें जेल
भेजने का न्योता देते है. इन पत्रकारों को किसने यह अधिकार दिया? देश में कोर्ट है
किसिलिए? क्या ये पत्रकार अपनी सीमाए लांध नहीं रहे है? झी टीव्ही के सुधीर चौधरी
तो रिश्वत कांड में जेल की हवा खा चुके है. क्या ऐसे लोग दूसरे को देशद्रोही कहने
के अधिकारी है? क्या पत्रकारिता की कोई संहिता नहीं होती?. झूठे व्हीडियो दिखाकर बेगुनाह
को जेल हो जाती है, इसके लिए इन लोगो ने देश से माफ़ी मांगना चाहिए. क्या इस अपराध
पर उन्हें शिक्षा नहीं होनी चाहिए? देश की जनता ने सवाल पूछना चाहिए की, भाई साहब
आप कौनसी पत्रकारिता कर रहे हो?
इस देश के वकील पार्टियोंमें बट गए है. वे संघ के कार्यकर्ता बन
गए है. यह एक खतरनाक सिग्नल है. क्या यह रोग जजतक नहीं पंहुचा होगा?. अगर आज के
वकील, कल जज के स्थान पर विराजमान होंगे, तब न्याय का क्या होगा? लोग निष्पक्ष न्याय
के लिए आंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाने की बात करेंगे, क्या तब भी उन्हें देशद्रोही
कहोंगे?
देशप्रेम क्या है? ये कौन सिखायेगा? क्या वे लोग सिखाएंगे
जिन्होंने कभी देश के आजादी के संग्राम में भाग नहीं लिया? क्या वे लोग देशप्रेम सिखाएंगे,
जिन्होंने अंग्रेजो के हाथ में हाथ मिलाया था? क्या वे लोग देशप्रेम सिखाएंगे,
जिन्होंने कभी देश के संविधान को कभी माना ही नहीं था? ये लोग देशप्रेमी कैसे हो
सकते है? ये लोग वंदे मातरम को दुसरोसे जबरदस्ती कहलवाना चाहते है. ये लोग
जबरदस्ती से भारत माता की जय बुलवाना चाहते है. ये लोग बार बार हिन्दुस्थान की रट
लगाते है?. क्या है वंदेमातरम? क्या है भारत माता? क्या है हिन्दुस्थान? क्या ये शब्द
सैवंधानिक है?. ये शब्द किसकी देन है? इन शब्दों की अभी क्या जरुरत है? ब्रिटीश
राजसे मुक्ति पाने के लिए वंदे मातरम एक नारा बन गया था. अभी हम आझाद देश के
रहिवासी है. भारत हमारा बाप है. भरत टोली के नामसे इस देश को भारत कहा जाता है और
हिंदू यह शब्द अरबो की देन है. इसीलिए ऐसे शब्दों को दफना देना ही ठीक है.
लोकतंत्र के प्रतीकोंपर भाजपा और संघ बार बार हमला कर रहा है.
जेएनयु पर हमला उसका एक हिस्सा है. अपने तरीकेसे इतिहास बदलकर दूसरों पर थोपना चाहते
है. संविधान सबको उसकी अभीव्यक्ती स्वतंत्रता बहाल करता है. विद्यार्थीयोंपर देशद्रोह
का आरोप लगाना मानसिक असभ्यता का प्रमाण
है. देशद्रोह और देशप्रेम के ऊपर चर्चा महाविद्यालयों या युनिव्हरसिटी में नहीं
होगी, तो क्या संघ के मुख्यालय में होनी चाहिए?. डिबेट, आरोप और उठे प्रश्नों का निरसन
करना प्रगल्भ लोकतंत्र का अंग होता है. संघ के विचारों से अलग मत रखना आज देशद्रोह
बन गया है.
भारत का पुलिसतंत्र नियमों के तहत काम करता नजर नहीं आता. वह
राजनीतिक पार्टियों के दबाव में काम करते दिखाई देते है. रिटायरमेंट के बाद सरकार
से कुछ मिलेगा, इस आशा और भरोसे पर पुलिस के मुखिया अपने इमानदारी से द्रोह कर विरोधियो
को झूठे केसेस में फसा देते है. यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके लिए
राजनीतिक पार्टिया और अधिकारियोका स्वार्थ लोलुपता जिम्मेदार होता है. जेएनयु के
विद्यार्थी अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ यही हुवा है.
भारत में देशप्रेम एक मजाकिया शब्द बन गया है. यह सब आरएसएस
संगठन के कारन हुवा है, आरएसस भारत का पहला प्रतिबंधित संगठन है. इस संगठन पर कई
बार पाबंदिया लगी है. यह संगठन समाज के अंदर आतंक निर्माण करता है. देश के हिंदूओके
मन में मुसलमान और इसायो के प्रति नफ़रत सिखाते है. उनके के खिलाफ लढने के लिए गरीब
और मध्यम वर्ग के हिंदूओ को उकसाते है. इस संघठन की अन्य शाखाए हिंदू लडके और लड़कियोंको
बन्दुक और तलवार चलाना सिखाते है. किसके विरुद्ध की लढाई लढना चाहते है ये लोग? क्या
गृहयुध्द की तयारी कर रहे है? यह बड़ा सवाल है. देशप्रेम और राष्ट्रवाद ये दो शब्द
इस संगठन के मुखौटे है. यह संगठन अपने पैतरे स्थिति के नुसर बदलता रहता है. कट्टरता
उसका स्वाभाविक गुणधर्म है. सुधार उसका अंग नहीं है. सुधारवाद का वह घोर विरोधी
है. ऐसे लोग देशप्रेम का सर्टिफिकेट बाट रहे है. क्या ऐसे लोगो को देशप्रेमी कहा
जा सकता है?.
बापू राऊत
E mail:bapumraut@gmail.com
Blog: www.bapuraut.com
vada pav khavoge kya?
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