दिनांक 25.02.2018 जिला गडचिरोली में जयंती दिन कार्यक्रम
संपन्न हुवा. यह जयंती दिन कार्यक्रम शिवाजी महाराज, संत रोहिदास एंव संत
गाडगेबाबा के जन्मोदीन के उपलक्ष्य में लिया गया. इस कार्यक्रम के संयोजक धर्मानंद
मेश्राम एंव सोशल एज्युकेशन मुव्हमेंट, माली समाज संघटना, संभाजी ब्रिगेड,
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ थे. कार्यक्रम के अध्यक्ष के तौरपर श्री बापू राऊत, साहित्यिक एंव
बहुजनवादी कार्यकर्ता, मुंबई इन्होने “आज की सामाजिक, सांस्कृतिक स्थिति एंव फुले
आंबेडकरी आंदोलन” के बारेमे विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बाबासाहब आंबेडकर के
अंतिम ध्येय कों हासिल करने के लिए सभी संघटनाओ (राजकीय एंव सामाजिक) के एकता पर
बल देकर कहा की, विघटित लोग कभी भी अंतिम उद्देश कों सफल नहीं कर सकते इसीलिए उन्होंने
अभी स्वार्थी नेताओके खिलाफ आंदोलन छेडने तथा
जनता में एकजुटता लाने की सलाह दी. जिजाऊ ब्रिगेड, चंद्रपुर की महिला प्रवक्ता अर्चना दिलीप चौधरी ने
“शिवाजी महाराज की महिला विषयक निति” के बारेमे जनसमूह के साथ
गुफ्त्न्गु किया. उन्होंने शिवाजी महाराज का आदर्श तथागत गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक होने का दावा किया. श्रीमती परवीन राजपूत, पारधी स्वाभिमान परिषद, नागपुर ने “भटके एंव विमुक्त जाती का जीवनक्रम” के बारेमे अपने कटु एंव सत्य अनुभव को सबके सामने रखा. उन्होंने पारधी समाज की यातनाए एंव उनके बारे में आम जनता के दूषित दृष्टिकोण कों उजागर किया. यहातक की, जब उनका शिष्टमंडल तब के गृहमंत्री आर आर पाटिल कों अपने ऊपर होनेवाले पुलिसि एंव आम लोगोंके अत्याचारों कों अवगत करने के लिए गया. तब मंत्री महोदय ने “उ नकी यातनाए सुनने के बजाय तुम लोग चोर हो” कहके भगा दिया था. उन्होंने कहा, हमारे पारधीयोंके तांडोपर संघ के लोग हमें गुमराह करने आते है, लेकिन फुले आंबेडकर का नाम लेकर आंदोलन करनेवाला कोई भी कार्यकर्ता हमारे पास नहीं आता. क्या यह फुले आंबेडकरी आंदोलन की असफलता एंव कमियाँ नहीं है?.
गुफ्त्न्गु किया. उन्होंने शिवाजी महाराज का आदर्श तथागत गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक होने का दावा किया. श्रीमती परवीन राजपूत, पारधी स्वाभिमान परिषद, नागपुर ने “भटके एंव विमुक्त जाती का जीवनक्रम” के बारेमे अपने कटु एंव सत्य अनुभव को सबके सामने रखा. उन्होंने पारधी समाज की यातनाए एंव उनके बारे में आम जनता के दूषित दृष्टिकोण कों उजागर किया. यहातक की, जब उनका शिष्टमंडल तब के गृहमंत्री आर आर पाटिल कों अपने ऊपर होनेवाले पुलिसि एंव आम लोगोंके अत्याचारों कों अवगत करने के लिए गया. तब मंत्री महोदय ने “उ नकी यातनाए सुनने के बजाय तुम लोग चोर हो” कहके भगा दिया था. उन्होंने कहा, हमारे पारधीयोंके तांडोपर संघ के लोग हमें गुमराह करने आते है, लेकिन फुले आंबेडकर का नाम लेकर आंदोलन करनेवाला कोई भी कार्यकर्ता हमारे पास नहीं आता. क्या यह फुले आंबेडकरी आंदोलन की असफलता एंव कमियाँ नहीं है?.
विशेष तौरपर धर्मानंद मेश्रामजी ने अपने
घर के पहिले मंजिल पर “संविधान सभागृह” का निर्माण किया है. इस संविधान सभागृह में
“सामाजिक एंव सांस्कृतिक आंदोलन” पर परिचर्चाए होती रहती है. और वे कार्यक्रम के
लिए मुफ्त में सभागृह मुहय्या कराते है. वह एक गडचिरोली का फुले आंबेडकरी
मुव्हमेंट का चर्चासत्र का केन्द्र बन गया है.
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