Monday, April 30, 2018

भारतमें दलितो एंव अल्पसंख्याकों पर अत्याचार (अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता सबंधी अमेरिकी आयोग का (यूएससीआईआरएफ) का रिपोर्ट )


हाल ही में अमेरिकी कमीशन के “इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम” द्वारा सार्वजनिक तौर पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। यह कमीशन विश्व स्तरपर धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखता है और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में उल्लेखित मानकों को ध्यान में रखकर अपना रिपोर्ट बनाता है। अन्तराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता सबंधी अमेरिकी आयोग अमेरिकी संघीय सरकार का एक स्वतंत्र द्विपक्षीय निकाय है जिसकी स्थापना अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता: अधिनियम  द्वारा 1998 में की गईतथा यह विदेश में धार्मिक स्वतंत्रता या आस्था के सार्वभौमिक अधिकारों की निगरानी करता है यूएससीआईआरएफ विदेश में धार्मिक स्वतंत्रता या आस्था के उल्लंघन की निगरानी के लिए अंतराष्ट्रीय मानकोंका प्रयोग करता है और अमेरिकी सरकार कों उस देश के प्रति नीतिगत फैसला लेने के लिए सुपुर्द करता। इस रिपोर्ट में कैलेंडर वर्ष 2016 से लेकर 2017 तक की अवधि की महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है


रिपोर्ट में कहा गया, ऐसे मुद्दे, जिनमें लंबे समय से चल रहे विवादोपर पुलिस द्वारा किए गए पक्षपात और न्यायिक अपर्याप्तता की समस्यायों ने व्यापक तौर पर दंडभाव का वातावरण पैदा कर दिया है, जहा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाए धर्मप्रेरित अपराधों के कारण असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। दलितोके प्रति भेदभाव और इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सरकार या राज्य सरकारों ने धर्मांतरण, गौ हत्या और गैर सरकारी संगठनों द्वारा विदेशो से आर्थिक सहायता लेने पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए कई कानून लागू किए हैं। भारत के संविधान में दीए प्रावधान अल्पसंख्यांक समुदाय कों समानता और धर्म के विश्वास की स्वतंत्रता प्रदान करते है, लेकिन इसके विपरीत सरकारों और तथाकथित राष्ट्रवादीयो द्वारा उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। इन परिस्थितियों कों देखकर  अमेरिकी कमीशन के “इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम” (USCIRF) ने भारत को फिरसे टायर-2  के स्थिति में  रखा है, जहा वह  2009 से स्थित है। इसके तहत आने वाले वर्षों के दौरान अगर स्थिति और गंभीर होती है, तथा धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन होते रहे ऐसे स्थिति में, भारत कों अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (IRFA) के तहत "'विशेष चिंतावाला देश" घोषित करने के लिए अमेरिकी प्रशासन कों कमीशन द्वारा सिफारिश की जा सकती है।

रिपोर्ट के नुसार सन २०१६ में, भारत में धार्मिक असहिष्णुता की स्थिति बिगड गई है। हिंदू राष्ट्रवादी समूह जैसे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस), संघ परिवार और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और उनके समर्थक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों और हिंदू दलितोके साथ हुई धमकी देने, उत्पीडन और हिंसा करने की बहुतसी घटनाओं में शामिल रहे है। ये उल्लंघन भारत के २९ राज्यों में से १० राज्यों में अधिक संख्या में और गंभीर रूप में हुए है। राष्ट्रीय और राज्य के कानून धर्मांतरण, गौ हत्या, गैरसरकारी संगठनो (एनजीओ) कों विदेशी सहायता पर प्रतिबंध लगते है तथा सीख,बौध्द और जैन कों हिंदू मानने के संवैधानिक प्रावधान ने ऐसी स्थिति पैदा करने में मदत की है जिसमे इन उल्लंघनो कों बल मिलाता है। यद्दपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांप्रदायिक सहिष्णुता और धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व पर सार्वजनिक रुप से बोला है तथापि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के राष्ट्रवादी समूह से सबंध है जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन कों जटिल बना दिया है और इन्होने तनाव कों बढाने के लिए धार्मिक रूप से विभाजनकारी भाषा का प्रयोग किया एंव धार्मिक स्वतंत्रता के प्रतिषेध के किए अतिरिक्त कानून बनाने की माँग की है। पुलिस, न्यायिक पक्षपात और कानून की अपर्याप्तता जैसी बड़ी समस्याओके साथ इन मुद्दोने दंडमुक्ति के व्यापक माहौल का निर्माण किया है जिससे धार्मिक अल्पसंख्यांक और अधिक असुरक्षित महसूस कर रहे है और उनके पास धर्म से प्रेरित अपराध से बचने का कोई साधन नहीं होता।

इस आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने  एक रिपोर्ट अमेरिकी सरकार कों सिफारिशे के साथ भेजी है। कुछ सिफारिशे निम्नलिखित है।
·          संघीय और प्रांतीय, दोनों स्तरों पर भविष्य के महत्वपूर्ण संवादों का फ्रेमवर्क बनने सहित भारत के साथ द्विपक्षीय संपर्कोमे धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति चिंता कों शामिल करना और धार्मिक हिंसा के मामलोंको  प्रतिबंधित व दंडित करने के प्रभावकारी उपाय लागू करने और पीडितो व गवाहों की सुरक्षा करने के लिए राज्य व केन्द्रीय पुलिस की क्षमता मजबूत करने कों प्रोत्साहित करना है;
·          धार्मिक स्वतंत्रता और सबंधित मानवाधिकरोके मामलोपर अमेरिकी दूतावास द्वारा ध्यान दीए जाने कों बढ़ाना देना जिसमे उन क्षेत्रो में राजदूत और अन्य अधिकारियो द्वारा दौरा करना शामिल है जहा सांप्रदायिक व धार्मिक प्रेरित हिंसा हुई है या होने की संभावना है। और धार्मिक समुदायों, स्थानीय सरकारी नेताओ और पुलिस में बैठक करना;
·          भारत सरकार दबाव देना की वह देश का दौरा करने के लिए  यूएससीआईआरएफ कों अनुमति दे और भारत सरकार से आग्रह करे की वह भारत दौरेपर धार्मिक और मत सबंधी स्वतंत्रता से जुड़े संयुक्त राष्ट्र के विशेष रिपोर्टरों कों आमंत्रीत करे;
·          पुलिस और न्यायिक व्यवस्था  के लिए मानवाधिकार व धार्मिक स्वतंत्रता के मानक व प्रक्रियाओ पर प्रक्षिक्षण बढ़ाने के लिए भारत से अपील करना, खासतौर पर उन राज्य व क्षेत्रो में जहा धार्मिक व सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास या इसकी संभावना है;
·          भारत की केन्द्र सरकार से राज्यों पर यह दबाव डालने की अपील करना की वह धर्मांतरण विरोधी कानून में बदलाव लाए ताकि उन्हें अंतराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त मानवाधिकार मानको के अनुकूल बनाने के लिए बदला जा सके या संशोधित या संशोधित किया जा सके; और
·          भारतीय सरकार कों उन सरकारी  अधिकारियों  व धार्मिक नेताओ कों सार्वजनिक रूप से फटकार लगाने की अपील करना जिन्होंने धार्मिक समुदाययो के बारेमे अपमानजनक वक्तव्य दीए है

रिपोर्ट में दलितोंके अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ उल्लंघन के बारेमे कहा गया है की, अधिकारिक तौरपर दलितोंकी अनुमानित संख्या 20 करोड़ है। रिपोर्ट कहती है की, उच्च जाती के व्यक्ती या स्थानीय राजनीतिक नेता, जो प्राय: हिंदू राष्ट्रवादी समूह के सदस्य होते है, कथित तौर पर हिंदू दलितोंको मंदिर में प्रवेश से रोकते है क्योकि उनके प्रवेश से मंदिर अपवित्र हो जाएगा।  इसके आलावा दलितोने पिछले वर्ष हिंदू राष्ट्रवादियो के बढ़ते उत्पीडन  की रिपोर्ट दि तथा जो कथित तौरपर जातिप्रथा बनाए रखना चाहते है तथा इनका मानना है की दलितोंको रोजगार और स्कूलों में ‘उच्च जाती’ के व्यक्ती से बात नही करनी चाहिए।  इसके अतिरिक्त गैर-हिंदू दलित विशेष रूप से ईसाइयों और मुसलमानों कों हिंदू दलितोंके लिए उपलब्ध्द नौकरियों या स्कुल नियोजन में कोई अधिकारिक आरक्षण नहीं है जो इन समूहों की महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक उन्नति में बाधा पहुचता है।

रिपोर्ट में कहा गया,  राष्ट्रवादी संघटनोने  अल्पसंख्यांकोके खिलाफ घृणा का अभियान छेडा रखा है। जिसमे इन संघटनो ने कथित रूप से पुरे भारत में ट्रेन स्टेशनों पर पर्चे चिपकाए थे जिसमे कहा गया था की भारत छोड दो या हिंदू धर्म स्वीकार कर लो अन्यथा 2021 तक मार दी जाएंगे। इसके अलावा बहु लाओ, बेटी बचाओ अभियान, लव जिहाद अभियान और मुसलमान मुक्त भारत का नारा देकर हिंदू लोगो से आग्रह किया गया है की वे मुसलमानों एंव ईसाइयो के स्वामित्व वाले व्यापार का बहिष्कार करे, उन्हें संपत्ति किराए पर न दे और उन्हें रोजगार न दे। धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से मुसलमान दावा करते हैं की सरकार अक्सर हिंसा की धार्मिक प्रेरित प्रकृति छिपाने के लिए उनके खिलाफ हमलों को सांप्रदायिक हिंसा के रूप में वगीकृत करती है।
रिपोर्ट में पिछली घटनाओ पर समुचित कारवाई के बारे कहा, फरवरी 2016 में, 2013  के मुजफ्फरनगर दंगो पर विशेष फैसले के अनुसार सबूतों के अभाव में 10 लोगोंको आगजनी और हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया। फरवरी 2005 में, 1984 के सीख विरोधी दंगो के दौरान हुई घटनाओ की समीक्षा करने के लिए भारत सरकार द्वारा एक नई एसआईटी  बने गई किंतु खबर के अनुसार, एस आय टी ने अपनी जाच पर न तो कोई भी रिपोर्ट जारी नहीं कीहै, और न ही कोई नया मामला दर्ज किया गया।

रिपोर्ट के अंत में भारत सरकार से अनुरोध किया गया की, वह इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ)” के कमिश्नर कों अंतर-धार्मिक समुदाय सहित स्थानीय धार्मिक स्थितियों की चर्चा करने के लिए भारत का दौरा करने की अनुमति दे।

इस रिपोर्ट का तटस्थ विश्लेषक के तौरपर जायजा लिया जाने के बाद भी, आज के भारत की स्थितियां उससे भिन्न नहीं लगती। आज कुछ तथाकथित राष्ट्रवादी संघटनो द्वारा विदेशो में भारत का नाम बदनाम  करने का सिलसिला जारी रखा हुवा है। भारत सरकार ने ऐसे संघटनोपर पाबंदी जैसी कार्यवाही करनी चाहिए। भारत एक डेमोक्रासी देश है, सभी धर्म एंव समूह का वह आवास है। ऐसे में संविधान की शपथ लेनेवाले सांसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका पर देश कों बचाने की जिम्मेवारी है। अगर देश में ऐसे ही धार्मिक स्वतंत्रता, जातीय संजोग   और मानवतावाद के उल्लंघन जारी रहने के स्थिति में, भारत कों अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (IRFA) के तहत "'विशेष चिंतावाला देश" घोषित करने का दिन दूर नहीं होगा। इसीलिए भारतियोंकों अपनी मूलभूत कर्तव्यता की दक्षता का पालन करते हुए देश कों विघटित करनेवाले शक्तियोंको निरस्त करना चाहिए।

 (साभार: अमेरिकी कमीशन के “इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम” का रिपोर्ट; WWW.USCIRF.GOV)

बापू राऊत
संयोजक, भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य), महाराष्ट्र

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