Saturday, September 12, 2020

कर्मयोगी स्वामी अग्निवेश नहीं रहे !

स्वामी अग्निवेश जी 
अब, कभी हजारो की भगवाधारी भिड़ में मुझे कोई स्वामी अग्निवेश जैसा कोई स्वामी दिखाई देगा या नहीं ! पता नहीं ? लेकिन मुझे स्वामी अग्निवेशजी का न रहना हमेशा खलता रहेगा। स्वामी अग्निवेश जी का सामाजिक कार्य और उनके न डरते हुए बेबाक तरीकेसे बोलने के आजादी ने मुझे उनका प्रशंसक बना दिया था।वे एक ऐसे संस्था से आते है, जहा चातुर्वर्ण्य और वेदो के मान्यता पर अधिक ज़ोर दिया गया था। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा वेदपरंपरा और वैदिक धर्म को उच्चस्तर में रखनेका प्रयास किया। उन्होने पुराणोका विरोध कर हिंदुस्तान की जगह आर्यावर्त कहनेपर ज़ोर दिया था, इसी कारण पुणा के सनातनी लोगोने उनकी प्रतिकात्म्क तरीकेसे गधे पर बारात निकाली थी। महाराष्ट्र में विष्णुबुवा ब्रम्हचारी और न्या॰ महादेव रानड़े जैसे लोग आर्य समाज के शिष्योमेसे थे।  

आंध्र प्रदेश में जन्मे, स्वामी अग्निवेश का मूल नाम वेपा श्यामराव था। उन्होंने अपनी ब्राह्मण जाति, धर्म और परिवार की पहचान छोड़ 1960 के दशक के अंत में उत्तर भारत में स्थापित आर्य समाज में शामिल होने के लिए हरियाणा चले आए थे । वे अपने जीवन में आर्य समाज के मुखिया रह चुके है । उन्होने मूर्तिपूजा के सिध्दांतोको खारिज किया था। स्वामी अग्निवेश ने  दयानंद सरस्वती के “सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग करने - कराने” के तत्व को बेखूबी निभाया था। दयानंदजी के सत्यार्थ प्रकाश इस किताब में कहा गया, “ जैसे पशु बलवान होकर निर्बलों को दु:ख देते और और मार भी डालते है, जब मनुष्य शरीर पाके वैसा ही कर्म करता है, तो वे मनुष्य स्वभावयुक्त नहीं, किन्तु पशुवत है। और जो बलवान होकर निर्बलों की रक्षा करता है, वही मनुष्य कहलाता है और जो स्वार्थवश होकर परहानी मात्र करता रहता है, वह जानो पशुओ का बड़ा भाई है”।  स्वामी अग्निवेश में मस्तिष्क में यह सत्यार्थ था।   

2005 में, स्वामी अग्निवेश ने पुरी जगन्नाथ मंदिर गैर-हिंदुओं के लिए खोले जाने की वकालत की थी। मई 2011 में, उन्होने दावा किया था की अमरनाथ में बर्फीले भगवान शिव जैसा दिखता है वह सिर्फ बर्फ का एक टुकड़ा है। इसका उन्हे विरोध झेलना पड़ा। उनका पुतला जलाया। लेकिन उन्होने सत्य, तथ्य और तर्क का साथ नहीं छोड़ा। उन्होने भावनाओ और आस्था का सबंध जालसाजी और धर्म के ठेकेदारो के नाजायज फायदे से जोड़ा था।  

उन्होने आपातकाल के दौरान, इंदिरा गांधी का विरोध किया था। 1977 में वे जनता पार्टी से  विधायक चुने गए। बाद में उन्होने मंत्री के रूप में कार्य भी किया । 1981 में उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा (बॉन्डेड लेबर लिबरेशन फ्रंट) की स्थापना की। औद्योगिक स्थानो, ईंट भट्टों और निर्माण स्थलों से हजारों बंधुआ श्रमिकों को मुक्त करने के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी। विशेषकर उनके द्वारा बंधुआ के बच्चों को मुक्त करने कार्य किया गया। वे प्रसार माध्यमों में होनेवाले बहसो में तार्किक विश्लेषण करने के लिए जाने जाते थे। उनके न रहने से भविष्य काल में इसकी कमी निश्चित तौरपर दिखाई देगी।

अग्निवेश ने अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए भी लड़ाई लड़ी। 1987 में उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ एक मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने मंदिरों में 'अछूतों' के प्रवेश को सुरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए। मोदी सरकार के कार्यकाल में भीड़तंत्र के खिलाफ आवाज उठाई। आईपीसी की धारा 377 को निरस्त करने के अभियान में पहली हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक थे।

अंतराष्ट्रीय जगत में भी उन्होने कार्य  किया । 1994 में, उन्हें गुलामी के समतल रूपों पर संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड का प्रमुख बनाया गया था। उनके इस योगदान के लिए, उन्हें 2004 में राइट लाइवलीहुड अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसे अक्सर 'वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार' कहा जाता है। 2010 में, यूपीए-2  समय में सरकार ने माओवादियों के साथ बातचीत के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था। उन्होने दिल्ली मे हुए अन्ना आंदोलन में भी शिरकत की थी, मगर वे तत्वाधान के कारणोंसे वे बाहर हो गए थे।

ऐसे एक भगवाधारी कर्मयोगी पर उनके आयु का ख्याल न रखते हुए भगवाधारी विचारधारा के भीड़तंत्र की अगुवाई करनेवाले लोगोने 2018 में, झारखंड के पाकुड़ में हमला कर दिया था।  इस कर्मयोगी के कपड़े फाड़े गए, सर की पगड़ी निकालकर फेकी गई तथा लात और ठुसे मारे गए । ऐसे आज के असत्यवादी युग के सत्यवादी कर्मयोगी का उनके 81 आयु में 11 सितंबर 2020 को निधन हुवा । उनके पश्चात आर्य समाज का कार्य उनके बताए हुए मार्ग पर चलेगा ऐसी कामना रखकर हजारो भगवाधारी भिड़ में एक और स्वामी अग्निवेश देखने की कामना रखकर उन्हे अभिवादन करता हु।    

लेखक: बापू राऊत

9224343464

 

 

 

1 comment:

  1. A real son of soil has passed away.

    Very good attribute by the blog

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