Wednesday, March 21, 2012

संसद के झरोकेसे


विपक्ष ने देश में योजना आयोग की ओर से जारी गरीबी के आकलन को झूठ का पुलिंदा बताते हुए लोकसभा में सरकार से इन्हें खारिज करने की मांग की है।
अहलूवालिया को हटाया जाए
विपक्षी सदस्यों ने सदन में इस मामले पर विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए सरकार से बयान देने और आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को पद से हटाने की भी मांग की। उन्होंने सदन की एक समिति गठित करने की मांग की जो योजना आयोग के सदस्यों से इन आंकड़ों के आधार के बारे में स्पष्टीकरण हासिल करेगी।
देश की हकीकत से वास्ता नहीं
सदस्यों ने इस मामले को लेकर सुबह जोरदार हंगामा किया जिस वजह से प्रश्नकाल स्थगित कर दिया गया। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर सदन में इस विषय पर विशेष चर्चा कराई गई। जनता दल यू के शरद यादव ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि आयोग का देश की हकीकत से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने अहलूवालिया पर गरीबों की संख्या को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें आयोग के उपाध्यक्ष पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए।
जवाबदेही से नहीं मोड़ सकते मुंह
सदन में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि आयोग का अध्यक्ष होने के नाते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मामले में अपनी जवाबदेही से मुंह नहीं मोड़ सकते । उन्होंने कहा कि सरकार को देश की आंखों में धूल झोंकने के बजाय गरीबों के लिए भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करने पर ध्यान देना चाहिए।
देश के साथ विश्वासघात: मुलायम
समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने आयोग पर देश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके सदस्यों को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की। बहुजन समाज पार्टी के बलिराम ने जाति गणना के साथ ही गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की भी गिनती कराने की मांग की ।
अवैज्ञानिक तौर तरीकों का प्रयोग
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वासुदेव आचार्य ने कहा कि आयोग ने देश में गरीबी को कम करके दिखाने के लिए अवैज्ञानिक तौर तरीकों का इस्तेमाल किया है । उन्होंने सरकार को अपनी गलत नीतियों को सही ठहराने के लिए फर्जी आंकड़ों का सहारा लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि आर्थिक उदारीकरण से गरीबों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
देश में भ्रम फैलाने की कोशिश
बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने इसे शर्मनाक बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कोई संस्था गरीबी के बारे में देश में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रबोध पंडा ने सरकार पर गरीबों को गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए योजनाओं के लाभों से वंचित रखने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री से बयान की मांग की ।
आंकड़ों के आधार को स्पष्ट करें
द्रमुक के टी आर बालू ने कहा कि आयोग को संसद के सामने अपने आंकड़ों के आधार को स्पष्ट करना चाहिए । शिव सेना के अनंत गीते ने कहा कि सदन को आयोग के आंकड़ों से असहमति जताते हुए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए । अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने आयोग के आंकड़ों को पूरी तरह हकीकत से परे बताया। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि गरीबी रेखा के निर्धारण के आधार तय करने में राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सुझाव भी लिए जाने चाहिए ।
तोड़ मरोड़ कर पेश किए आंकड़े
राष्ट्रीय जनता दल के रघुवंश प्रसाद सिंह ने सरकार से गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की गिनती कराने की मांग की ताकि इस मामले में भ्रम दूर हो सके । कांग्रेस के वी अरुण कुमार ने इस मामले में आयोग का बचाव करते हुए विपक्ष पर उसके आंकड़ों को राजनीतिक लाभ के लिए तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया । अध्यक्ष मीरा कुमार ने चर्चा के अंत में कहा कि गरीबी के बारे में सदन ने गहरी चिंता जाहिर की है । अगर सदस्य नोटिस देते हैं तो वह इस मामले पर विस्तृत चर्चा कराने के लिए तैयार हैं ।
जिसकी जेब में 28 रुपये वह गरीब नहीं
योजना आयोग ने सोमवार को आंकड़ा जारी करते हुए कहा था कि देश में गरीबों की संख्या घट गई है और शहरों में जिसकी जेब में 28 रुपये है तो वह गरीब नहीं है। आंकडों के अनुसार देश में 2004-05 की तुलना में 2009-10 में गरीबों की संख्या 7.3 प्रतिशत कम हुई है।
इस प्रकार करीब पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए। उसके अनुसार वर्ष 2004-05 में गरीबों की संख्या 37.2 प्रतिशत थी जो 2009-10 में 29.8 प्रतिशत रह गई। ये आंकडे़ इस आकलन पर आधारित हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिदिन 22 रुपए 43 पैसे और शहरों में 28 रुपये 65 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा से ऊपर है।

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