Friday, May 11, 2012

बाबा साहेब के कार्टून पर संसद मे हंगामा, सिब्बल ने देश से माफी मांगी

राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा ग्यारहवीं की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के विवादास्पद कार्टून को लेकर शुक्रवार को संसद में सियासी उबाल आ गया। संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही की शुरुआत ही हंगामे से हुई। बसपा सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस सांसद पीएल पूनिया ने सिब्बल को निशाने पर लिया। मामला बढ़ते देख सिब्बल ने दोनों सदनों में भरोसा दिया कि सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। अगले सत्र की पुस्तक में यह सामग्री नहीं होगी। पुस्तक का वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए एक समीक्षा समिति गठित की जा चुकी है। 
संसद में बसपा सदस्य काफी हमलावर रहे। उन्होंने आसन के सामने आकर कपिल सिब्बल को बर्खास्त करो के नारे लगाए।   मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल को देश से माफी मांगनी पड़ी। साथ ही पुस्तक से कार्टून हटाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का ऐलान किया।  सिब्बल ने बताया कि मामला पिछले महीने ही संज्ञान में आ गया था और इसे हटाने के लिए मंत्रालय ने 26 अप्रैल को निर्देश भी जारी कर दिए थे। इस मुद्दे पर एनसीईआरटी को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। 
आश्चर्य की बात यह है की आंबेडकरी आंदोलनो और आंबेडकरी संघटनाओ के व्यासपीठोपर आकर फुले और बाबासाहेब के ऊपर बड़े बड़े भाषण देनेवाले योगेन्द्र यादव और महाराष्ट्र पुना से सुहास पलसीकर इनके मौजदगी मे और संमतीसे  राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा ग्यारहवीं की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे मे कार्टून छापा गया है। अब इस  एनसीईआरटी के दोनों सलाहकारों योगेन्द्र यादव और सुहास पालशिखर ने शाम होते-होते इस्तीफा देनेकी न्यूज आ रही है। खुद को समाजवादी कहनेवाले योगेन्द्र यादव और सुहास पलसीकर  की पोल खुल गई है। ये बाहर से समाजवादी है तथा अंदर से ब्राम्हणवादी है योगेन्द्र यादव अक्सर बामसेफ के कार्यक्रमों मे वक्ता के रूप मे हमेशा दिखाई देते है। तथा सुहास पलसीकर  अन्य फुले आंबेडकरी संघटनाओ के मंच पर भाषण देते है। महाराष्ट्र के अंदर इन्हे समाजवादी कहा जाता है। क्या ब्राम्हन समाजवादी होते है?। सही बात तो यह है की ये लोग फुले आंबेडकरी आंदोलनो मे फुट डालके रुकावटे पैदा कराते है। 
                                                                           बापू राऊत 

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