भारत में बहुजन समाज की संख्या अधिक थी.
जहा ओबीसी, अनुसूचित जाती, जनजाति एंव धर्मपरिवर्तित लोगोंका
समावेश होता है. इस बहुजन समाज पर बौध्द धर्म का अधिक प्रभाव था. कालांतरण में बौध्द
धर्म का विभाजन हीनयान और महायान के तौरपर अधिक तेजीसे चल रहा था. महायान पंथ एक
नया स्वरूप ले रहा था. जहा मूर्तिपूजा, तंत्रविद्या और
चमत्कार का अधिक विस्तार हो रहा था. साथ ही खेती और सामाजिक चेतना के साथ मनोरंजन
(फेस्टिवल) के नए प्रयोग भी विकसित हो रहे थे. इस विकास के साथ बहुजन समाज के
सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तानेबाने बढ़े और उनमे स्थिरता
आई. महायानो द्वारा भारत के अनेक जगहों पर मंदिरों एंव स्तुपोंका का निर्माण किया
गया और उसमे बुध्द की मूर्तिया स्थापित की गई. लेकिन आदि शंकराचार्य के समय से
महायानी बौध्दो के मंदिरोपर कब्ज़ा करना शुरू हुवा. मंदिरोंमें बुध्द की मूर्ति में
बदलाव किया गया तथा मंदिरोका संचालन ब्राम्हण वर्ग करणे लगा. तत्कालीन राजा
ब्राम्हणों के सलाह से राज्य चलाने लगे. महायांनी बहुजन समाज जो तंत्र,मंत्र, मूर्तीपूजा को मानता था वो समाज ब्राम्हण
संचालित मंदिरोमे जाकर ब्राम्हण पंडो के बातोपर विश्वास करने लगे. सातवी शताब्धी
से चौदाह शताब्धी तक पुराणों, महाकाव्ये और स्मुर्तियो का
निर्माण किया गया. आज भी अनेक प्रसिध्द मंदिरोमे बुध्दा की प्रतिकृतिया दिखाई देती
है. जमीन के निचे जहा खुदाई होती है, वहा बौध्द संस्कृति के
अवशेष मिलते है. गौतम बुध्द की मूर्तियों
पर गेरवा रंग चढ़ाकर उसे देवी और देवता रूप में पूजा की जा रही है और हर मंदिरोंकी
काल्पनिक कहानिया बनाकर लोगो को बताया जाता है. इस तरह की विकृत मानसिकता एक ख़ास वर्ग का प्रतिक बन
गई है.
आज का हिंदू धर्म बौध्दोंके महायान पंथ का
हिंदू रूपांतरण है. महायानी बहुजनोंको एक हिंदू टूलकिट के स्वरूप में इस्तेमाल
किया जा रहा है. उसने अपने पुर्वंजो के धर्म और प्रतिकोंको भुला दिया है. हिंदू शब्द १३ वि शताब्दी तक भारत में
अस्तित्व में नहीं था. फिर भी ब्राम्हण लेखक, ग्रंथनिर्माता
और बुध्दिवादी लोग पुराने घटनाओं के लिए हिंदू शब्द का प्रयोग इस्तेमाल करते रहते
है. यह नैतिकता एंव सत्यवादी नियमोके खिलाफ है. अब वैदिक ब्राम्हण भी स्वंयम को हिंदू कहने लगे है. अपने स्वार्थ के लिए
उन्होंने अपना सनातन एंव वैदिक धर्म, शैव, वैष्णव पंथ संप्रदाय और अपने देवी देवता को भुला दिया है. अब वे हिंदू धर्म को सनातनी और वैदिक धर्म कहने
लगे है. हिंदू धर्म को सनातन एंव वैदिक धर्म साबित करने के लिए प्रचार, प्रसार एंव नकली सबूतोंके जमावड़े के लिए वे प्रयासरत है. लेकिन महायानी
बौध्द धर्म ही आज के हिंदू धर्म के स्वरूप में चिरस्थाई है. यह एक सच्चाई है.
बापू राऊत
लेखक एंव विश्लेषक
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