Friday, August 10, 2012

गरीबों को मोबाइल! गरीबी हटाव का नया फंडा या गरीबोके नामसे भ्रष्टाचार।


भारत सरकारने  गरीबी रेखा से नीचे रह रहे कुछ लाख निर्धनों लोगो को मुफ्त 200 मिनट लोकल टॉकटाइम के साथ मोबाइल फोन बाटणे का फैसला लिया है। गरीबोको मोबाईला बाटणे के इस फैसले का हम फुले-आंबेडकराईट लोग विरोध नाही करेंगे। क्योकी देश मे अस्सी फीसदी से जादा गरीब दलित ही है। हर दलित के हात मे मोबाइल आनेसे दलितोमे आपस मे वार्तालाप होगा। हर एक दलित अपनी समस्या आपस मे शेअर कर सकेंगे। आंदोलन के दृष्टी से भी इसके दूरगामी परिणाम सिध्द्ध हो सकते है। दलितो का संवाद बढ़ जाएगा।  इस दृष्टी से इस निर्णयका स्वागत कते है।
इस निर्णय से गरीबोंकों सस्तावाला सिर्फ एक मोबाइल मिलेगा किन्तु सत्ताधारी पक्ष के लोग और  सरकारी अधिकारी इनकी लाखो रुपयो की कमाई होगी। करोड़ो का भ्रष्टाचार होगा यह सुनिश्चित है। मोबाइल कंपनियों की भी करोड़ो का फायदा होगा। और सरकार (कांग्रेस को) को वोटो के हिसाब से फायदेमंद होगा। 7,000 करोड़ की यह प्रस्तावित योजना लूट-खसोट का नया अवसर  बनेगी?

आजादी के करीब साढ़े छह दशक के बाद भी जिन लोगों को दो वक्त का भोजन, पेयजल, आवास और स्वास्थ्य की सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं, गोदामे अनाज सड जाता है फिर भी वह गरीबी को बाटा नहीं जाता। अब सरकार उन लोगों को मोबाइल देने के बारे में सोच रही है? यह गरीबो का मज़ाक नहीं तो और क्या है?  हम गरीबोंकों भिक नहीं, काम  चाहिए। देश के गरीब मेहनत से काम करके अपना जीवन सुधारणा चाहते है। सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद भी इस देश का कृषिमंत्री / तथा सरकार की तरफ़से गरीबोंको अनाज उपलब्ध्द नहीं कराया गया। देश से गरीबी  को हटाने के बजाय, गरीबो का अपने स्वार्थ के लिए फायदा लिया जा रहा है। मुंबई के नजदीक मेलघाट  इलाकेमे आदिवासी भूके पेट से मरते है, क्या सरकार को यह दिखाई नहीं देता?
                                                                         ले- बापू राऊत 

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