राज्यसभा सचिवालय को भेजे गए अपने जवाब में केजरीवाल ने कहा ' मैं संसद का सम्मान करता हूं और कई अच्छे सांसदों का भी सम्मान करता हूं , लेकिन कुछ सांसदों के बारे में मैं यह नहीं कह सकता। संसद में आज कुछ लोग तो ऐसे हैं ,जिन्हें लोग अपने घर बुलाने से भी कतराएं। ऐसे लोग जब संसद में बैठे हों , तो उसका सम्मान कैसे किया जाए ?' अपने बयान में उन्होंने बताया कि लोकसभा के अंदर इस समय 162 सांसद ऐसे हैं , जिन पर 522 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संसद की छवि खराब करने के लिए सभी पार्टियां जिम्मेदार हैं , क्योंकि उन्होंने पिछले (2009 के) लोकसभा चुनावों में ऐसे लोगों को बढ़-चढ़ कर टिकट दिया। उन्होंने बताया कि 2004 के चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 128 सदस्य लोकसभा में थे जबकि 2009 में इनकी संख्या बढ़कर 162 हो गई।
दागी नेताओं के बारे में टिप्पणी करते हुए केजरीवाल ने हालिया रिलीज़ फिल्म पान सिंह तोमर के डायलॉग का जिक्र कया और कहा कि जब फिल्म का हीरो पर्दे पर कहता है कि बीहड़ में बागी रहते हैं , डाकू तो संसद में रहते हैं। उन्होंने कहा जब इस तरह के डायलॉग पर लोग तालियां बजाते हैं ,तो हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि आज हमारी संसद की यही छवि है।
29 दिसंबर 2011 को संसद में चर्चा के दौरान लोकपाल बिल फाड़ने की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब सांसद राजनीति प्रसाद ने मंत्री जी के हाथ से बिल छीनकर फाड़ दिया क्या तब संसद अपमानित नहीं हुई ? इस घटना को बाकी सांसद बैठकर चुपचाप देखते रहे क्या तब संसद का अपमान नहीं हुआ ? जब संसद में कुर्सियां फेंकी जाती हैं , माइक उखाड़कर फेंके जाते हैं, तब क्या संसद की गरिमा बनी रहती है ?
केजरीवाल ने कहा , ' मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा था। मैंने सिर्फ जनता के प्रश्नों को उठाया था। अगर आपके कानून की नज़र में मैं दोषी हूं तो मैं उस कानून के तहत सजा भुगतने के लिए तैयार हूं। मैं व्यक्तिगत रूप से अपनी बात कहने का मौका चाहता हूं। '
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